गुरुवार, 3 नवंबर 2016

हमेशा सच ही कहता हूँ, तरफदारी नही हूँ
मेहनतकश हूँ मै यारों, कोई भिखारी नही हूँ
वाहक हूँ सूर तुलसी निराला की परम्परा का
मै चन्द भाड़ों की तरह कवि दरबारी नही हूँ

अरविन्द राय.........................
आओ फिर प्यार की इक कहानी लिखें
चाँदनी, चाँद और रात रानी लिखें
प्रेम की साधना की सरल व्यंजना
प्यास चातक की स्वाति का पानी लिखें

अरविन्द राय.........
वो कैसे तेरा हमसफ़र बनेंगे "अरविन्द"
जिन्हें सलीके से साथ चलना नही आता

अरविन्द राय......

सोमवार, 11 जुलाई 2016

किसी की आँखों में सपने सजाने का ख़याल आया

किसी की आँखों में सपने सजाने का ख़याल आया
उन्हें देखा तो उनसे दिल लगाने का ख़याल आया
इबादत मैंने की उनकी जिन्हें रुसवा किया तुमने
बजा जब मंदिर का घंटा मुझे माँ का ख्याल आया
किसी मासूम चिड़िया के परों को नोचने वालों
तुम्हे चौराहे पे फ़ासी लगाने का ख़याल आया
इक चिड़िया मेरे आगन में आकर गुनगुनाई जब
इक बेटी घर में हो मेरे मुझे ऐसा खयाल आया
मुझे अफ़सोस है इसका की वो रुसवा हुए मुझसे
मै जीते जी मरा फिर से मुझे जब ये खयाल आया
किसी हैवान ने इंसानियत को कर दिया रुसवा
मै भी कुछ कर नहीं पाया मुझे इसका मलाल आया

...............................................अरविन्द राय

बुधवार, 25 मार्च 2015

कोई मीरा किसी मोहन पे मर जाये तो क्या होगा

कभी कोई किसी के दिल में बस जाये तो क्या होगा 
मोहब्बत का दीया सिने में जल जाये तो क्या होगा
मेरी चाहत को मत समझो, मगर इक बार तो सोचो 

कोई  मीरा  किसी  मोहन पे मर जाये तो क्या  होगा...!

किसी की बात में आकर न अपना तुम, उसे कहना 
हकीकत की ज़मी पे ही तुम अपने पावँ को रखना 
यहाँ अक्शर ही मिलते है सभी चेहरे बदल करके 
हकीक़त क्या, नक़ाबे क्या सदा तुम याद ये रखना....!

अगर अपनों की नियत ही बदल जाये तो क्या होगा 
तेरे दर  से  कोई  वापस  चला  जाये तो क्या होगा 
जो रहता  है मेरे सिने  में धड़कन  की तरह बनकर 
वो  सिने  में अगर खंज़र चुभा  जाये  तो क्या होगा...!

मोहब्बत में कभी खुशियाँ कभी आंशु भी पाया है 
कभी हम साथ बहके थे,  कभी तन्हा बिताया है 
बहारों की उम्मीदे क्यों करूँ मै अपने आँगन में  
मेरे हिस्से में तो हर वक़्त बस पतझड़ ही आया है .

दिल किसी की चाहत में बेकरार रहता है 
प्यार का हर एक लम्हा यादगार रहता है 
वो न है ज़माने में, जानते तो है लेकिन 
प्यार करने वालो को इंतज़ार रहता है ...!

पतझड़ का है ज़माना चलना सम्हल सम्हाल के 
अपने भी है पराये मिलना सम्हल सम्हल के 
गुलशन में फूल भी है कांटे भी तो बहुत  है 
माली भी घात में है खिलना सम्हल सम्हल के ..!

दिल्ली की कहानी लोगो की जुबानी

दिल्ली की कहानी लोगो की जुबानी 
सन्नाटा चारो तरफ फैला हुआ  
खामोशी की चादर ओढ़े सारा शहर 
सो रहा है सुकून की नींद और  
लुट रही है कही किसी कोने में 
किसी अबला की इज्ज़त ...
दरिन्दे अपनी हवस की आग में 
लक्ष्मी और दुर्गा के प्रतिबिम्ब
 को कलुषित कर रहे है .......
 जैसे  आज फिर कौरवों का 
साम्राज्य स्थापित हो गया है 
हस्तिनापुर एक बार फिर 
अंधे धृत राष्ट्रों के हाथो की 
कठपुतली बन गया है 
एक बार फिर द्रोपती को 
निर्वस्त्र किया जा रहा है 
पांडव मूकदर्शक बने है 
कृष्ण कब आएगा और 
कब बचेगी द्रोपती की लाज ......
हर नारी कर रही है ये सवाल ....
कब होगा हस्तिनापुर में ...
धर्मराज का राज ........



हिंदी है मेरे दिल की धड़कन, हिंदी मेरी जान है

हिंदी  है मेरे दिल की धड़कन, हिंदी मेरी जान है,
बंदन अर्चन तप है हिंदी, ममता है  अभिमान है,

कबीरा बाणी,सूर की भक्ति तुलसी का श्री राम है 
महदेवी की बिरह ब्यथा है मीरा का घनश्याम है 
पन्त,दिन,अज्ञेय, निराला रहिमन है रसखान है....

हिंदी  है मेरे ..........................................

अनामिका,साकेत,नीरजा,यशोधरा,मानस,निर्झर
प्रेममाधुरी,शंध्यगीत,पदमावत,लहर,आशु,जौहर 
रश्मिरथी,बीणा,परिमल है, पुरवा है  गोदान है.....


हिंदी है  मेरे ...........................................